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रालोसपा के बाद कांग्रेस ने तेजस्वी को दिखाए तेवर, कहा-सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

रालोसपा के बाद कांग्रेस ने तेजस्वी को दिखाए तेवर, कहा-सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद अब महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। महागठबंधन के घटक दल जल्द से जल्द सीट शेयरिंग पर फैसला चाहते हैं। रालोसपा तो पहले ही मनचाही संख्या में सीट न मिलने पर महागठबंधन से अलग होने की धमकी दे रही थी। अब महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस ने भी तेजस्वी को तेवर दिखाए हैं।

कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडेय ने शनिवार को कहा कि पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर राजद के साथ सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सम्मानजनक समझौता होता है तो हम उनके साथ चुनाव लड़ेंगे।

सूत्रों के अनुसार, इस बार राजद ने करीब 150 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। ऐसे में बची सीटें महागठबंधन के अन्य घटक दलों को मिलेंगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41 सीटें मिली थी। इस बार कांग्रेस 70 से अधिक विधानसभा सीटें चाहती हैं।

महागठबंधन पर सीटों के बंटवारे पर संकट?
बिहार में महागठबंधन में शामिल दलों राजद, कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी और वामपंथी दलों के बीच अधिक से अधिक सीट पाने के लिए रस्साकशी चल रही है। मन के मुताबिक सीट न मिलने के चलते पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम पहले ही महागठबंधन से निकल चुकी है। अब रालोसपा भी इसी राह पर है।

रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने साफ संकेत दिया है कि सम्मानजनक सीट न मिलने पर वे महागठबंधन से अलग हो सकते हैं। राजद कुशवाहा को 10-12 सीट से अधिक देने के मूड में नहीं है। इससे खफा उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को कहा था कि अगर राजद अपने नेतृत्व को बदल दे तो वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को समझा लेंगे।

जिस उद्देश्य को लेकर महागठबंधन का निर्माण हुआ था, आज वह अपने उद्देश्य से भटक चुका है। लोगों की अपेक्षा थी कि महागठबंधन का नेतृत्व ऐसे व्यक्ति के हाथ में होगा जो नीतीश कुमार के सामने खड़ा हो सके। राजद के पीछे रहकर नीतीश कुमार जैसे व्यक्ति को टक्कर देना असंभव है।

एनडीए में भी आसान नहीं सीट शेयरिंग
उधर, एनडीए में भी सीट शेयरिंग का मुद्दा लोजपा के आक्रामक रुख के चलते उलझ गया है। भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम ने मिलकर 2015 का चुनाव लड़ा था। 2020 के चुनाव से पहले एनडीए की स्थिति बदल गई है। जदयू भी अब एनडीए में शामिल है, जिसके चलते दूसरी पार्टियों को कम सीटें मिलने वाली हैं।

लोजपा को यह मंजूर नहीं है। लोजपा ने मनचाही संख्या में सीट न मिलने पर 143 विधानसभा क्षेत्र से अपने उम्मीदवार उतारने की बात कह सीट शेयरिंग को उलझा दिया है।

2015 के चुनाव में 101-101 सीट पर राजद और जदयू ने उतारे थे उम्मीदवार
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में राजद, जदयू और कांग्रेस शामिल थे। राजद और जदयू ने 101-101 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और कांग्रेस को 41 सीट दी गई थी। चुनाव में राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीट पर कामयाबी मिली थी।



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कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडेय ने कहा- अगर राजद के साथ सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सम्मानजनक समझौता होता है तो हम उनके साथ चुनाव लड़ेंगे।


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