कोविड महामारी में चुनाव कैसे करवाते हैं, दक्षिण कोरिया और ताईवान ने दिखाया, अब भारत-अमेरिका की बारी; जानिए दोनों देशों से मिला सबक हम कैसे आजमाएंगे?
Saturday, 26 September 2020
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को बिहार चुनावों के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों समेत देशभर की 56 अलग-अलग सीटों पर उपचुनावों की घोषणा कुछ ही दिन में होने वाली है। चुनाव आयोग ने बिहार चुनावों के लिए जो इंतजाम किए हैं, उसमें कोरोनाकाल में करवाए गए दक्षिण कोरिया के चुनावों की छाप दिख रही है।
सबसे पहले बात कोरोनाकाल में चुनावों की...
- इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस के मुताबिक, कोविड-19 की वजह से 69 देशों ने अपने राष्ट्रीय या प्रांतीय चुनाव स्थगित किए हैं। 53 देशों ने अपने नेशनल और सब-नेशनल चुनाव आयोजित करने का फैसला किया है। इसमें भारत और अमेरिका भी शामिल है।
अप्रैल में हुए थे दक्षिण कोरिया में चुनाव
- दक्षिण कोरिया में अप्रैल में चुनाव कराए गए। जब वहां के चुनाव आयोग ने चुनाव कराने का फैसला किया तो पूरी दुनिया की निगाहें उसकी व्यवस्थाओं पर थी। पिछले हफ्ते एसोसिएशन ऑफ वर्ल्ड इलेक्शन बॉडीज ने वेबिनार आयोजित किया। इसमें दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने किस तरह कोरोनाकाल में चुनाव कराए।
- दक्षिण कोरिया में जब चुनावों की घोषणा हुई तो वहां टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से कोविड-19 को रोकने के लिए बड़े स्तर पर काम किए गए। वहां 1992 के बाद से सबसे ज्यादा 66.2% वोटिंग दर्ज हुई। 2,800 कोविड-19 मरीजों को ई-मेल या स्पेशल बूथ पर वोटिंग की अनुमति दी। तीन करोड़ लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया।
- दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने तीन फेज में चुनाव कराए। जो लोग कोरोना पॉजिटिव थे, उनके लिए घर से वोटिंग सुनिश्चित कराई गई थी। इसी तरह जो लोग क्वारैंटाइन में थे, उनके लिए अलग इंतजाम किए गए थे।
- दक्षिण कोरिया में 14,000 डिसइंफेक्टेड पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे। वहां लोगों ने हाथों को सैनिटाइज कराने के बाद वोटिंग की। उनके टेम्परेचर की जांच की गई और लाइन में खड़े रहने के दौरान सुरक्षित अंतर रखा गया। बिहार के चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने इसी तरह की गाइडलाइन रखी है।
...और कहां चुनाव कराए गए
- ताईवान के केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने शैड्यूल के मुताबिक फरवरी में उपचुनाव कराए। उस समय भी कोरोना का डर सताने लगा था। वहां भी वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो जारी किए गए थे।
- इसके बाद, बांग्लादेश ने तीन संसदीय सीटों पर उपचुनाव कराए, जिसमें 65% वोटिंग हुई। बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने कैंडीडेट्स को घर-घर जाकर प्रचार करने के बजाय सोशल मीडिया, टीवी, रेडियो, अखबार, बैनर का इस्तेमाल करते हुए वोटिंग करने को प्रेरित किया। इंडोनेशिया में 9 दिसंबर को लोकल बॉडी इलेक्शन हैं। वहां 27 करोड़ लोग वोटिंग करेंगे। वहां इसके लिए अलग से बजटीय प्रावधान किए गए हैं।
15 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड वोटर डालेंगे अमेरिका में वोट
अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। स्टैटिस्टा के मुताबिक, 2016 में 15.76 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर थे, जो 2018 में घटकर 15.30 करोड़ रह गए। हालांकि, यह नंबर आने वाले समय में बढ़ सकते हैं।
- अमेरिका के कई राज्यों में अर्ली वोटिंग का नियम है। सीएनएन के मुताबिक अब तक 2.8 करोड़ वोटर्स प्री-इलेक्शन डे के लिए बैलट का अनुरोध कर चुके हैं। वहीं, 4.3 करोड़ लोग और करने वाले हैं। 2016 में 5 करोड़ लोगों ने अर्ली वोटिंग या ऑनलाइन वोटिंग की थी। कोरोनाकाल में यह आंकड़ा रिकॉर्ड तोड़ने वाला है।
- अमेरिका में सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने पोलिंग स्टेशनों के साथ ही वोटरों के लिए गाइडलाइन जारी की है। पोलिंग स्टेशनों का सैनिटाइजेशन, अधिकारियों के लिए हाथ धोने और सैनिटाइजर के इस्तेमाल, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे नियम अनिवार्य किए गए हैं।
- सीडीसी ने पोलिंग स्टेशन पर जाकर वोटिंग करने की इच्छा रखने वाले लोगों को अपना काला स्याही का पेन और इलेक्ट्रॉनिक स्टाइलस ले जाने की सलाह दी है। साथ ही आंखों से इंफेक्शन के खतरे को कम करने के लिए गॉगल पहनने की सलाह भी दी है।
बिहार की वोटिंग बिल्कुल ही अलग होगी
- बिहार की वोटिंग बिल्कुल अलग है। अब कोरोना कम्युनिटी फेज में पहुंच गया है। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग किसी काम की नहीं रह गई है। बिहार में 243 सीटों पर 7.29 करोड़ लोग वोट डालेंगे। यानी दक्षिण कोरिया से करीब दोगुने वोटर मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसी वजह से तीन फेज में वोटिंग रखी गई है।
- अब तक 1,500 वोटर प्रति पोलिंग बूथ का औसत होता था। इस बार चुनाव आयोग ने यह संख्या घटाकर 1,000 वोटर की है। साथ ही सुबह 7 से शाम 5 बजे तक के बजाय एक घंटा बढ़ाकर शाम 6 बजे तक वोटिंग रखी है। कोरोना के मरीजों और बुखार वाले मरीजों के लिए अंतिम घंटे में वोटिंग का प्रावधान है।
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