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मगावा, एक अफ्रीकी चूहा जिसे कम्बोडिया में लैंडमाइन खोजने के लिए यूके की चैरिटी ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया है

मगावा, एक अफ्रीकी चूहा जिसे कम्बोडिया में लैंडमाइन खोजने के लिए यूके की चैरिटी ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया है

यूके की पीपुल्स डिस्पेंसरी फॉर सिक एनिमल्स (पीडीएसए) ने शुक्रवार को कम्बोडिया में लैंडमाइन तलाशने के काम में लगे एक अफ्रीकी चूहे मगावा को ब्रेवरी अवॉर्ड के तौर पर गोल्ड मेडल दिया है। मगावा एक अफ्रीकन जायंट पाउच्ड रैट है, जो सिर्फ 8 साल का है।

मगावा को गोल्ड मेडल क्यों दिया गया?

  • मगावा इस समय कम्बोडिया में काम कर रहा है। मगावा सिर्फ 30 मिनट में एक टेनिस कोर्ट के बराबर इलाके में सर्च कर सकता है। अगर यही काम मेटल डिटेक्टर के साथ किसी आदमी से करवाया जाए, तो उसमें चार दिन तक लग जाते हैं।
  • मगावा ने अब तक 39 से ज्यादा लैंडमाइन डिटेक्ट किए। 28 अनएक्सप्लोडेड ऑर्डिनेंस बरामद करने में मदद की है। उसने इस तरह 1,41,000 वर्गमीटर क्षेत्र (दो फुटबॉल मैदान जितनी जगह) साफ कराई है। यह मगावा को चैरिटी का अब तक का सबसे सफल हीरो रैट (HeroRAT) बनाती है।

क्या है हीरो रैट और इन्हें ट्रेनिंग कौन देता है?

छिपी हुई लैंडमाइन तलाशने में मदद करता है मगावा। यह एक अफ्रीकन जायंट पाउच्ड रैट है, जिसे एपीओपीओ ने ट्रेनिंग दी है।
  • 1990 के दशक से तंजानिया में एपीओपीओ नाम की एक डच चैरिटी चूहों को लैंडमाइन ढूंढने की ट्रेनिंग दे रही है। एपीओपीओ का अंग्रेजी में मतलब है एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस डिटेक्शन प्रोडक्ट डेवलपमेंट। इस संगठन की स्थापना बेल्जियम में हुई। इसका हेडक्वार्टर तंजानिया में है। मगावा जैसे चूहों को ट्रेनिंग देकर उनका इस्तेमाल लैंडमाइन जैसे एक्सप्लोसिव केमिकल्स को गंध के जरिये ढूंढने में किया जाता है।
  • अफ्रीकन जायंट पाउच्ड रैट आम चूहों से बड़ा होता है। लेकिन, वह इतना भारी भी नहीं होता कि उसके वजन से लैंडमाइन ब्लास्ट हो जाए। मगावा और उसके जैसे अफ्रीकन जायंट पाउच्ड रैट आम तौर पर इंटेलिजेंट होते हैं, जिन्हें आसानी से ट्रेंड किया जा सकता है।
  • मगावा और उसके जैसे अन्य चूहों का ऑफिशियल जॉब टाइटल है 'हीरो रैट'। यदि कोई चूहा लैंडमाइन को उसके केमिकल की वजह से डिटेक्ट करता है तो वह उसके हैंडलर को इसका संकेत देता है। तब लैंडमाइन को एहतियात बरतते हुए निकाला जाता है।
  • मगावा को काफी कम उम्र में ट्रेनिंग दी गई और वह सभी टेस्ट में पास हुआ। इसके बाद उसे कम्बोडिया में तैनात किया गया। वह जमीन में दबे स्क्रैप मेटल पर ध्यान नहीं देता और सिर्फ एक्सप्लोसिव केमिकल्स की गंध को पहचानता है। इससे हैंडलर को सिग्नल मिलता है और लैंडमाइन की सटीक लोकेशन पता चलती है।

कम्बोडिया में लैंडमाइंस निकालने की नौबत क्यों आई?

  • कई दशक के संघर्ष की वजह से इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में लाखों की संख्या में लैंडमाइन और अनएक्सप्लोडेड ऑर्डिनेंस है। युद्ध के दौरान इस्तेमाल हुए यह एक्सप्लोसिव हर साल हजारों लोगों को घायल करते हैं। पिछले सात साल में 40,000 लोग इन लैंडमाइंस के शिकार हुए हैं।
  • कम्बोडिया पिछले कुछ साल से विदेशी चैरिटी की मदद से एक्सप्लोसिव की तलाश करवा रहा है, ताकि यह हादसे कम हो सकें। यह बहुत ही मुश्किल और खतरनाक काम है। ऐसे में मगावा जैसे हीरो रैट काम आते हैं। कम्बोडिया सहित दुनिया के कई देशों में इस समय 80 मिलियन लैंडमाइन एक्टिव हैं। वह कहां लगी हैं, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है।

पीडीएसए क्या है?

  • पीडीएसए की स्थापना एनिमल वेलफेयर के क्षेत्र में काम करने वाली मारिया डिकीन ने 1917 में की थी और यह यूके की प्रमुख वैटरनरी चैरिटी में से एक है। यह संस्था पूरे यूके में 48 पेट हॉस्पिटल चलाती है और यहां बीमार और घायल पालतू जानवरों का फ्री इलाज किया जाता है।

पीडीएसए गोल्ड मेडल क्या है?

  • पीडीएसए गोल्ड मेडल देने की शुरुआत 2002 में हुई। इसके तहत 'डिवोशन ऑफ ड्यूटी' दिखाने वाले पशुओं की पहचान की जाती है, जिन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए असाधारण साहस दिखाया हो। पीडीएसए की वेबसाइट कहती है कि हीरो किसी भी शेप और साइज का हो सकता है। जानवर भी असाधारण परिस्थितियों में ऐसा कुछ कर जाते हैं कि उन्हें हीरो कहा जा सकता है।
  • अब तक यह मेडल 30 से ज्यादा जानवरों को दिया जा चुका है। हालांकि, अब तक सिर्फ डॉग्स ही इस अवॉर्ड को जीतते आए हैं। पिछले साल एक पुलिस डॉग बक्का को यह अवार्ड दिया गया था। 2018 में बक्का ने यूके के ब्रोमयार्ड में घरों की खिड़की तोड़ने वाले हमलावर को पकड़ा था। बक्का को इस दौरान सिर और गर्दन में आठ घाव लगे थे।


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अफ्रीकी चूहे मगावा को ब्रेवरी अवॉर्ड के तौर पर पीडीएसए गोल्ड मेडल दिया है। यह मेडल देने की शुरुआत 2002 में हुई थी। अब तक सिर्फ डॉग्स ये अवॉर्ड जीतते आए थे।


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